Monday, 31 August 2020

सच और झूठ

 सच और झूठ के दायरों से बाहर निकल के देखिये 

क्या क्या मरहले1 दरमियाँ हैं कुछ दूर चल के देखिये 

 

नामुमकिन नहीं चाँद तो ख़ुद चल के ज़मीं पे आयेगा 

बच्चों की तरह आप एक दिन थोड़ा मचल के देखिये 

 

गर मज़बूतियाँ आज़मानीं हों नीयत - ए – असीर2 की

दामन थाम के मुफ़लिसी का दो गाम चल के देखिये 

 

बेहद ख़ुशनुमा गर बनानी हो आपको ये ज़िन्दगी 

औरों की जगह आप थोड़ा ख़ुद को बदल के देखिये 

 

1.       मरहला = गंतव्य, मंज़िल; बड़ा या कठिन काम

2.       असीर = ऊँचा, बुलंद; आसमान; ख़ालिस

 


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