सुन ले मेरे प्यारे बेटे
बात मुझे कुछ तुझसे कहनी
टुकड़ा है तू दिल का मेरे
तुझसे है कुछ दिल की कहनी
ख़ूब मज़े में हम दोनों हैं
चिंता बिलकुल मत करना तुम
वक़्त यही आगे बढ़ने का
बस मन में इसको रखना तुम
उम्र हुई अब हम लोगों की
सो तबियत रूठी रहती है
ऐसी वैसी बात नहीं कुछ
अम्मां तो यूँ ही कहती है
ज़िक्र तुम्हारा जब भी आए
सीना चौड़ा हो जाता है
कितनी भी तारीफ़ें सुन लें
दिल को पर कब चैन आता है
ख़ूब तरक़्क़ी यूँ ही करना
आगे और आगे ही बढ़ना
दो पल को तुम मगर ठहर कर
जीवन को भी ज़रा समझना
याद आती है हरदम तेरी
पर दिल को हम समझाते हैं
फोटो एलबम किस्सों से, बस
कैसे भी काम चलाते हैं
एक बरस से कुछ ज़्यादा ही
जब मिलने तुम घर आए थे
पोते - पोती और बहू को
साथ कहाँ तुम ला पाए थे
कमी नहीं है कुछ भी लेकिन
घर सूना - सूना लगता है
घर वालों के बिना कहो तुम
घर भी कोई घर लगता है!
बड़े शौक से बनवाया जो
वो घर अब मुँह चिढ़ाता है
मेरी नादानी की पल पल
अब मुझको याद दिलाता है
क्या याद तुम्हें कुछ बचपन की
खेल खिलौने और नुमाइश
दादा - दादी साथी तेरे
पूरी होती हर फ़रमाइश
तुम थे जैसे साए उनके
संग सदा पाए जाते थे
तुम में मानों बचपन मेरा
देख उमर दोनों पाते थे
बीमार अगर तुम पड़ जाते
घर में मातम छा जाता था
आँखों में थी रात गुज़रती
हममें वो कैसा नाता था
तनहा जीवन एकाकी सा
अभिशाप सरीखा लगता है
इस दिन की ख़ातिर क्या मानव
दिन रात परिश्रम करता है!
तुम हो उगता सूर्य गगन के
अर्घ्य तुम्हें तो सब देते हैं
दो पल के हैं मेहमां अब हम
आशीष आख़िरी देते हैं
अपनों का तुमको साथ मिले
धन दौलत आँगन में बरसे
रौनक छाई हो घर में, मन
किसी बात को कभी न तरसे
लम्बा जीवन स्वस्थ सुखद हो
और घर में खुशहाली छाए
नाती पोते खेलें घर में
याद किसी की कभी न आए
सुन ले मेरे प्यारे बेटे
बात मुझे बस इतनी कहनी
बात हुई ना बड़े दिनों से
बात मुझे थी इतनी कहनी
बहुत सुंदर रचना एक पूरे जीवन की सच्ची तस्वीर खींचती।
ReplyDeleteमन को छूती , बहुत कुछ कहती।
बहुत बहुत शुक्रिया!
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