Friday, 5 November 2021

मेरे प्यारे बेटे


सुन    ले      मेरे     प्यारे     बेटे 

बात  मुझे  कुछ  तुझसे  कहनी

टुकड़ा   है   तू   दिल   का  मेरे

तुझसे है कुछ  दिल की  कहनी 


ख़ूब   मज़े   में   हम   दोनों   हैं

चिंता बिलकुल  मत करना तुम 

वक़्त   यही   आगे   बढ़ने   का 

बस मन में   इसको रखना तुम 


उम्र   हुई  अब  हम  लोगों   की

सो   तबियत   रूठी   रहती   है

ऐसी    वैसी    बात   नहीं   कुछ

अम्मां   तो   यूँ   ही   कहती   है 


ज़िक्र   तुम्हारा   जब   भी  आए

सीना    चौड़ा     हो    जाता   है

कितनी   भी   तारीफ़ें   सुन   लें 

दिल को  पर कब  चैन आता है 


ख़ूब   तरक़्क़ी    यूँ  ही   करना  

आगे   और  आगे   ही    बढ़ना 

दो पल को तुम मगर ठहर कर

जीवन  को  भी  ज़रा  समझना 


याद   आती   है    हरदम   तेरी 

पर  दिल  को हम  समझाते  हैं

फोटो  एलबम  किस्सों  से, बस  

कैसे    भी    काम    चलाते   हैं


एक बरस  से   कुछ ज़्यादा  ही 

जब   मिलने  तुम   घर आए  थे 

पोते  -  पोती    और   बहू   को 

साथ   कहाँ  तुम   ला   पाए  थे 


कमी  नहीं है  कुछ भी  लेकिन

घर   सूना  -  सूना   लगता    है

घर  वालों  के  बिना  कहो  तुम  

घर   भी   कोई   घर  लगता  है!


बड़े   शौक   से    बनवाया   जो 

वो   घर  अब   मुँह   चिढ़ाता है 

मेरी    नादानी   की   पल   पल 

अब  मुझको  याद   दिलाता  है


क्या याद तुम्हें  कुछ बचपन की

खेल    खिलौने   और   नुमाइश

दादा   -   दादी     साथी      तेरे   

पूरी    होती    हर     फ़रमाइश


तुम    थे    जैसे    साए    उनके 

संग     सदा     पाए    जाते    थे 

तुम    में   मानों   बचपन    मेरा 

देख     उमर    दोनों    पाते   थे 


बीमार   अगर   तुम   पड़  जाते 

घर   में   मातम   छा  जाता  था 

आँखों   में   थी    रात   गुज़रती 

हममें   वो    कैसा    नाता    था 


तनहा    जीवन    एकाकी    सा 

अभिशाप    सरीखा  लगता   है 

इस दिन की ख़ातिर क्या मानव

दिन   रात   परिश्रम  करता  है! 


तुम  हो  उगता  सूर्य  गगन  के

अर्घ्य  तुम्हें  तो   सब   देते   हैं  

दो पल के हैं  मेहमां अब  हम  

आशीष   आख़िरी    देते     हैं


अपनों  का  तुमको  साथ मिले

धन   दौलत  आँगन   में  बरसे 

रौनक  छाई  हो  घर  में,   मन 

किसी  बात को कभी  न तरसे


लम्बा जीवन  स्वस्थ सुखद  हो

और  घर  में   खुशहाली  छाए

नाती    पोते    खेलें    घर    में 

याद  किसी  की  कभी न आए


सुन     ले     मेरे    प्यारे    बेटे

बात  मुझे  बस  इतनी  कहनी

बात   हुई  ना   बड़े   दिनों  से 

बात   मुझे  थी   इतनी  कहनी




2 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना एक पूरे जीवन की सच्ची तस्वीर खींचती।
    मन को छूती , बहुत कुछ कहती।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया!

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