Thursday, 2 July 2020

रिश्ता


कुछ अनकही भी होती है रिश्तों में समझना चाहिए

इक - दूसरे से पहले मगर खुद को परखना चाहिए

 

नाराज़  हूँ  परेशान  हूँ  या  मसअला  कुछ और है

ग़मख़्वार हो अगर तुम मेरे तुमको समझना चाहिए

 

पत्थर दिली अदा भर नहीं है शर्त भी है इश्क़ की

उम्मीद हो न हो पर तेरे दिल को धड़कना चाहिए

 

जो ग़म किसी के तुम ले सको काँधा किसी को दे सको

सौदा  जहाँ  में  इससे  खरा  किसको समझना चाहिए

 

ख़ुदग़र्ज़ बन अगर ज़िन्दगी में कामयाबी तय समझ

पर ग़ैर इस जहाँ में तुझे किसको  समझना  चाहिए


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