अहसास के सफ़र
पर निकलो जो साथ उनके
ख्वाबों को ले चलो तुम ख्वाबों के साथ उनके
इससे भी
ख़ूबसूरत क्या कोई ख़्वाब होगा
लम्बा सा इक सफ़र और हाथों में हाथ उनके
ये ज़िन्दगी ख़लल
दे गर दरम्याँ तुम्हारे
ना भूलना कि तुम बिन है कौन साथ उनके
उम्मीद पर इसी
हम हैं रात भर तड़पते
लम्हा तो इक मिलेगा ख़ल्वत में साथ उनके
हो जाए गर मुख़ालिफ़ दुनिया भी ‘मुन्तज़िर’ की
परवाह किया बिना वो हरदम है साथ उनके
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