Friday, 8 October 2021

इतने दिन बाद ...


तुम  इतने  दिन  बाद  मिले  हो 
क्या  अब  भी   पहले  जैसे  हो 

चेहरा   है   बदला - बदला   पर 
आँखें    भोली    वैसी   ही   हैं 
लहजा  भी  कुछ  बदला  है  पर 
बातें   अब   भी   वैसी  ही   हैं

क्या  याद  तुम्हें  वो  बीते  दिन 
हँस - खेल   गुज़ारा   करते   थे 
दुनिया   भर   की   गप्पें  हाँकें   
पर  अपने  दिल  कब  भरते  थे

याद  तुम्हें   जब  रूठे  थे  तुम
कितनी  मिन्नत  बाद  मने  थे 
भूल गए क्या  फिर उस पर हम 
दोनों  कितनी   देर   हँसे   थे

साथ   बिताई  थी   जो  हमने
याद    मुझे   वो  शाम सुहानी 
कितने  ही दिन  बीत  गए पर 
अब  भी  कायम  याद  पुरानी 

तब  तो  तुम  कैसे  अल्हड़ थे 
अब     इतने   संजीदा   कैसे 
हर  वक़्त   शरारत  वाला मन 
बोलो !   चुप  बैठा  अब  कैसे

अपने   कुछ  प्यारे  लोगों  को 
तुमने   भी   तो  खोया  होगा 
टूटे    होंगे   कुछ  सपने  भी
बरसों   जिन्हें  सँजोया   होगा  

तुमने   भी   तो  थामा  होगा
हाथ  किसी  इक  अनजाने का
मौका   इक  तो  आया  होगा 
अपने  दिल  को  समझाने का 

याद   कभी   तो  आई  होगी 
बस  इक लम्हे की  ख़ातिर ही 
बरसों    साथ   गुज़ारे  हमने
तो  उन  बरसों की ख़ातिर ही 

वक़्त   हुआ  है  बिछड़े तुमसे
वक़्त  लगेगा  फिर  मिलने में
अपनी  आदत  अब  भी धीमी 
वक़्त  लगेगा  फिर खुलने  में

अब  वक़्त  मुक़ाबिल लाया है
इतने   बरसों   के  बाद सही
बदला है जब सब कुछ तो क्यूँ 
दिल   ढूँढ  रहा इन्सान  वही 

छोड़ो  भी अब  क्या रहना  है 
माज़ी  की इन गलियों में फिर 
आओ  बैठो  दो   बातें    हों 
दो अनजान  मुसाफ़िर हों फिर  

अब इतने  दिन बाद मिले  हो 
और  बताओ ! तुम  कैसे  हो 




2 comments:

  1. तब तो तुम कैसे अल्हड़ थे
    अब इतने संजीदा कैसे
    हर वक़्त शरारत वाला मन


    बोलो ! चुप बैठा अब कैसे

    बहुत बढ़िया , लाजवाब मज़ा आ गया पढ़ कर बड़े दिल से लिखा है। वाह

    ReplyDelete