Friday, 17 September 2021

कौन होगा


दिल  सा   मेरे   बदगुमाँ1   कौन   होगा
सब   भूल   कर   मेहरबाँ   कौन   होगा

तुम  बिन  नहीं  कुछ  मेरा अब  यहाँ पर
ग़ुरबत2  में  हूँ  हम ज़ुबाँ3  कौन   होगा

तुम  रह गए  ख़ुद में  ही  जो  सिमट कर
मज़लूम4   का    साइबाँ5   कौन   होगा 

जो  कह  सके  सच  किसी  के  भी आगे
वो   सरफिरा   बदज़ुबाँ    कौन    होगा

जब  दर्द  क़िस्मत  में  हर  आदमी   के
बे-रब्त- ए - आह -ओ- फ़ुगाँ7 कौन होगा 

क्यूँ   नफ़रतें  दरमियाँ   इन   गुलों   के
इस   बाग़   का  बाग़बाँ8   कौन   होगा

हस्सास9  नायाब10   होने    लगे   अब  
ख़ामोशियों   की   ज़ुबाँ    कौन    होगा




1. बदगुमाँ = ग़लत / बुरी धारणा रखने वाला; संदेह रखने वाला; बेवफ़ा
2. ग़ुरबत = ग़रीबी; विवशता; परदेशी होना, बेवतनी 
3. हम ज़ुबाँ = अपनी ज़ुबान बोलने वाला; साथ में बात करने वाला 
4. मज़लूम = जिस पर ज़ुल्म हुआ हो; पीड़ित 
5. साइबाँ = धूप और बरसात से बचाने के लिए छज्जा / छप्पर; सहारा या पनाह  
6. रब्त = लगाव; सम्बन्ध; ताल्लुक; दोस्ती 
7. आह-ओ-फ़ुगाँ = sighing and crying ; विलाप 
8. बाग़बाँ = माली, बाग़ की रखवाली करने वाला
9. हस्सास = संवेदनशील
10. नायाब = अमूल्य, दुर्लभ, अनुपलब्ध 

4 comments:

  1. क्या इतना अच्छा भी लिखा जा सकता है !मुरली

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    1. आपकी ज़र्रा नवाज़ी है! हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!

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    2. बहुत शुक्रिया!

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