ये ख़ुद अपना तजुर्बा है मुहब्बत कर के देखा है
किताबों से नहीं सीखा लगा कर दिल ये देखा है
मुहब्बत जिसको कहते हैं ख़ुदा की दी हुई नेमत
ख़ुदाई छीन लेती है यही फिर हमने देखा है
ख़यालों के हसीं टुकड़े जिगर पे घाव करते हैं
जिसे कहते वफ़ा तुम हो उसे भी कर के देखा है
ज़माना इश्क़ का दुश्मन भला क्यूँ कर नहीं होता
मुबारक चीज़ हो जो भी ख़िलाफ़त होते देखा है
तग़ाफ़ुल1 हो इनायत हो नहीं कोई फ़रक मुझको
न हो जब रूबरू तुम तो तुम्हें ख़्वाबों में देखा है
नहीं ये नातुवानी2 है नहीं
ये बेज़ुबानी है
इसी दिल के धड़कने से क़यामत आते देखा है
रहूँगा ‘मुन्तज़िर’ शायद अगर तुम लौट भी आओ
कि गहरे ज़ख़्म को किसने यकायक भरते देखा है
1.
तग़ाफ़ुल = जान-बूझ कर की
जाने वाली उपेक्षा, बेख़बरी
2.
नातुवानी = शारीरिक अशक्तता, कमज़ोरी, दुर्बलता, शक्तिहीनता
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