करते रहे
जो
दिन
भर,
हम
इंतज़ार
उनका
मेरी तरह
नहीं
क्या,
दिल
बेक़रार
उनका
उनके बग़ैर
कुछ
भी
भाता
नहीं
यहाँ
पर
सुनते थे ख़ूबसूरत शहर-ओ-दियार
उनका
अफ़सोस है
कि उनको, अब तक नहीं
पता
ये
दिल पर
मेरे
है
अब
तो,
बस
इख्तियार
उनका
आँखों के
रास्ते
वो,
दिल
में
उतर
के
देखें
मेरी तरह
छिनेगा,
चैन-ओ-क़रार
उनका
बेताब उनके
दिल
को,
इक
रोज़
कर
ही
दूँगा
इतना न
कर
सकूँ
तो,
क्या
जाँनिसार
उनका
No comments:
Post a Comment