Friday, 29 May 2020

दोस्त


यूँ कहने को तो दोस्तों की कोई कमी नहीं है,

पर कभी-कभी एक ग़म.ख्वार की कमी सालती है;

एक ऐसा दोस्त, एक हमदर्द,

जिससे हम अपनी खुशियाँ ही नहीं,

अपने ग़म भी बाँट सकते;

वो ग़म, जिन्हें हम औरों से ही नहीं,

ख़ुद से भी छुपाते रहते हैं.

 

क्योंकि ज़िन्दगी में कुछ मसाइल ऐसे होते हैं,

जिन्हें शायद कभी सुलझाया नहीं जा सकता.

वो तो उस सलीब की तरह होते हैं,

जिन्हें हमें ता उम्र ढ़ोना होता है.

ऐसे में अपने दिल को, उस दोस्त की मदद से

बस बहलाया जा सकता है;

ताकि ये मुश्किल सफ़र थोड़ा आसान हो सके.


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