हमीं से चाहते हैं वो , इजाज़त छोड़ जाने की
बड़ी क़ातिल है उनकी ये, अदा भी हक़ जताने की
बड़ी क़ातिल है उनकी ये, अदा भी हक़ जताने की
अजब उलझन में हूँ या रब, कि ना कैसे कहूँगा अब
कहीं नीयत न उनकी हो, हमें ही आज़माने की
कहीं नीयत न उनकी हो, हमें ही आज़माने की
कभी इन्कार ना करना , किसी इसरार को उनके
कभी तुम साथ ना चलना, रवायत जो ज़माने की
कभी तुम साथ ना चलना, रवायत जो ज़माने की
नहीं मालूम ये उनको, कि हम हैं जानते सब कुछ
लगे हैं कोशिशों में वो , सबूतों को मिटाने की
लगे हैं कोशिशों में वो , सबूतों को मिटाने की
सनम तो भूल जायेंगे, ज़माना याद रखेगा
यही शायद सज़ा होगी, यहाँ पर दिल लगाने की
यही शायद सज़ा होगी, यहाँ पर दिल लगाने की
ज़माना हम से पूछेगा, हमारे इश्क़ का हासिल
वजह आसान सी होगी, हमारा दिल दुखाने की
वजह आसान सी होगी, हमारा दिल दुखाने की
अगर इस तौर मिलता है, जो मुझको इल्म इरफ़ानी
बड़ी छोटी सी क़ीमत है, ये बदले में चुकाने की
Wah wah
ReplyDeleteशुक्रिया
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