Tuesday, 22 June 2021

कामयाबी

 

तुम्हारी ग़लतियाँ भी वो सर आँखों पर बिठा लेंगे

अगर तुम जीत जाओ तो ख़ुदा तुम को बना लेंगे

 

उसूलों से  न समझौता कभी भी तुम मगर करना

नज़र से गिर के ख़ुद को हम  बड़ा कैसे बना लेंगे

 

अकेले दम  ही  चलना है अगर अपने मुक़द्दर में  

सफ़र में क़ाफ़िला अपना ख़ुद ही को हम बना लेंगे

 

बड़ी  क़ुर्बानियाँ    है   माँगती   ये   कामयाबी   भी 

मिटा कर  देख तो  हस्ती फ़रिश्ता1 सब बना लेंगे

 

नहीं जो  रहनुमा2 कोई फ़िकर की  बात  ये कोई

है दम गर बाज़ुओं में रहनुमा हम ख़ुद  बना लेंगे

 

नहीं हैं मंज़िलें  तो क्या नहीं जो कारवाँ  तो क्या

तेरा भी साथ गर ना हो  डगर हम ख़ुद बना लेंगे

 

इरादा नेक हो अपना मदद  फिर मिल ही जाती है

ज़माने भर के ग़म क्यूँ ना भला अब हम उठा लेंगे

 

चलो ऐसा करें हम कुछ  ज़माना  याद रखे फिर

नहीं कुछ पा सके तो भी  दिलों में घर बना लेंगे

 

अगर यूँ ही चलेगा ज़ुल्म का ये सिलसिला नाहक़3   

सताए  लोग तो  आख़िर  जहाँ  सर पे उठा लेंगे

 

मिटा भी ना सकेगी  मौत अब  मेरे  ख़यालों को

बग़ावत  की  मशालें  लोग  हाथों में  उठा  लेंगे

 

जुदा गर जिस्म हों भी तो ख़यालों का  सहारा है

तेरी  हर  ख़ूबसूरत  याद  को दिल में छुपा लेंगे



1.       फ़रिश्ता = देव दूत; बहुत ही पाक इन्सान

2.       रहनुमा = पथ प्रदर्शक, सही रास्ता बताने वाला; लीडर

3.       नाहक़ = हक़ के ख़िलाफ़, अन्याय, बेइंसाफ़ी; अनुचित रूप से, बेईमानी से; बेवजह, व्यर्थ में


Thursday, 10 June 2021

हसरत

 

मैं  चाहूँ  भी  तो  तुम  जैसा  हो  नहीं  सकता

तेरा  हमदर्द 1  तो  हूँ  पर  रो   नहीं सकता

 

थकन  के  बाद  दिन  भर की  यूँ तेरी तरह

घड़ी भर हँस तो लूँ  पर ख़ुश हो नहीं सकता

 

हसीं  तो  और  भी   हैं  तुझ  से मगर कोई

शरीर 2  इतना  ज़हीन 3 इतना हो नहीं सकता

 

हज़ारों  तल्ख़ियाँ 4  इन   महरूमियों 5  ने  दीं

ये  वो  हैं  दाग़ जिनको  तू  धो नहीं सकता

 

तुम्हारी   याद   में   गुज़रे  मरहले 6 कितने

ख़ुशी  के  दरमियाँ  लेकिन  रो  नहीं  सकता

 

मुहब्बत एक  बहुत  मुझको  सात जनमों तक

ख़यालों में  किसी  के  फिर खो  नहीं  सकता

 

निहायत   बेवजह   है   अब   ढूँढना  उसको

भटक कर रह गया  जो फिर  खो नहीं  सकता

 

कहाँ   तक   ढूँढ़ता  मैं  आख़िर  तुम्हें  तनहा

सफ़र में इस  कोई  साथी   हो   नहीं  सकता

 

बिछड़ना  तो  मुक़द्दर  की  बात  है   लेकिन

किसी   सूरत  ये  बोझा  मैं  ढो  नहीं  सकता

 


1.       हमदर्द = जो दर्द में साथ हो; दुःख-दर्द का साथी;  सहानुभूति रखने वाला 

2.       शरीर = शरारती; छेड़ छाड़ करने वाला

3.       ज़हीन = कुशल; समझदार

4.       तल्ख़ियाँ = कटुता, कड़वापन; तकलीफ़ें; मुसीबतें

5.       महरूमी = निराशा; वंचित रहना, प्राप्त न होना

6.       मरहला = पड़ाव; ठिकाना; मंज़िल 

 

 

Wednesday, 2 June 2021

नसीहतें

(अपने बेटे को ताकीद करते वक़्त ज़हन में आईं चंद वो नसीहतें जो हमें विरसे में मिली हैं. ये हमारे पुरखों की नसीहतें भी हैं और उनकी दुआएँ भी. इन्हें ना सिर्फ़ हम अगली पीढ़ी को सौंपना चाहेंगे, बल्कि इन पर ख़ुद भी अमल करना चाहेंगे.)


घबरा  गया अगर तू  नफ़रत  से आज मिल  के

होंगे  बता   कि  पूरे  कैसे  ये  ख़्वाब दिल  के

 

हसरत  जगाए  दिल  में  वो आफ़ताब1   बन  तू    

ठंढक पड़े  ज़हन  में जिस  शख़्सियत2  से  मिल के  

 

नज़रें  टिकी  रहें  बस  मंज़िल की ओर  हर दम

हर ज़ख़्म  को  सहे  तू  हाथों से अपने सिल  के

 

किस्मत   लिखेगा  अपनी   अपने   ही   बाज़ुओं   से

भटके  कभी   नहीं  तू   पर   दायरों   से   दिल   के

 

हर  बात  में   सदाक़त3 लहज़ा  नरम मगर  हो

सबको सुकूँ  मिले बस  तुझसे  ज़रा सा मिल  के

 

बोली   तेरी   हो ऐसी   मीठी    शहद   सरीखी

बैरी   गले  लगा  ले  सूरजमुखी  सा  खिल  के

 

अपने   किसी   बयाँ   से ना  तू  कभी  मुकरना

हर शख्स दे मिसाल तेरे हर्फ़4 – ए – मुस्तक़िल5 के

 

फौलाद   सा   जिगर   हो    पर   नर्म    हो  तबीयत

अदबी6  रवायतों  से   गुज़री   मगर   हो   मिल   के

 

हिम्मत  मिले   सभी   को   पा   कर   तेरा   सहारा

दर   से    जाए  वापस   कोई   बग़ैर   मिल   के

 

तारीफ़  की  ललक  ना  बदनामियत का  खटका

दुनिया  कहे  कि देखो  जलवे  ये  मोतदिल7  के

 

लहराएगा  ज़मीं  पर  परचम8  तेरे  हुनर    का

ख़्वाहिश  जगा सके गर दिल में तू  संगदिल9  के

 

मंज़िल  हुई   है  हासिल  ऐसा   तभी   समझना

जब साथ चल सके तू इस ख़ल्क़10–ए-मुज़्महिल11 के




1.       आफ़ताब = सूरज

2.       शख्सियत = व्यक्तित्व

3.       सदाक़त = सच्चाई, हक़ीक़त

4.       हर्फ़ = अक्षर; बात

5.       मुस्तक़िल = मज़बूत, पक्का, अटल, स्थिर, स्थाई, दृढ़, क़ायम

6.       अदबी = साहित्यिक

7.       मोतदिल = संतुलित, मध्यम प्रकृति का;

8.       परचम = झन्डा

9.       संग दिल = पत्थर दिल; कठोर हृदय का

10.    ख़ल्क़ = अवाम, जनता, (दुनिया के) लोग

11.    मुज़्महिल = उदास, कमज़ोर, थका हुआ; सुस्त, शिथिल