Sunday, 24 August 2025

जीवन का ध्येय



जीवन का  इक ध्येय कठिन चुन 
क्या   रखा   इस  आसानी  में
ऊँचे  लक्ष्य  बिना   ये  जीवन 
समझो   गुज़रा   नादानी   में

स्वप्न  अगर हो इन  आँखों  में
नामुमकिन  हो  तो  बेहतर   है
मार्ग  दुरुह  जितना  ही   होगा
फिर  मंज़िल  उतनी  सुन्दर  है

कठिन अग्नि  में तप कर ही तो
सोना   कुन्दन  बन  पाता   है
अथक परिश्रम के  बिन  ये तन
रोगी   जैसा   बन   जाता   है

जीवन  रण  है  पल  प्रति  पल
सामर्थ्य    बढ़ेगा    लड़ने   से 
जब  ठान लिया  तो  ठान लिया 
फिर  क्या मतलब  है  डरने  से 

खेत  रहे  जो   बड़े   युद्ध  में
जो   वीरगति   को   प्राप्त  हुए
फैली   कीर्ति  दिग्  दिगंत  तक 
वो   जनमानस  में  व्याप्त  हुए

योग्य  बनो  तुम इस लायक कि  
स्वरूप  बदल  दो   दुनिया  का
सौभाग्य  लिखो तुम  ख़ुद अपना 
प्रारब्ध  बदल  दो   दुनिया  का