मैं तुमसे दूर ही तो जा रहा हूँ
तुमसे बिछड़ नहीं रहा,
सच मानो तो हम कभी
बिछड़ सकते ही नहीं !
क्योंकि हम हमेशा साथ होंगे,
हमारे उन ख़यालों में
जो कभी हमने साथ बुने थे,
उन अनगिनत लम्हों में
जो हमने साथ जिए हैं,
उन ख़ूबसूरत अहसासों में
जो अब हमारी साझा धरोहर हैं
यक़ीन मानो ! तुम हमेशा
मुझे अपने इर्द-गिर्द ही पाओगे,
अल्मारियों में रखी उन क़िताबों में
जो तुम्हें अब भी बेहद नापसंद हैं,
और नीम के उस पेड़ के नीचे भी
जहाँ मौका मिले, तो तुम
आज भी घंटों बैठ सकते हो
रोज़मर्रा के वो मसाइल1,
जो कभी हम दोनों
मिल के सुलझाते थे
तुम्हें मेरी याद दिलाते रहेंगे
हालाँकि मैं ये जानता हूँ
कि कभी-कभी यूँ ही
तुम्हें मेरी याद सताएगी
पर मैं नहीं चाहता
कि तुम मुझे याद कर
कभी अपना दिल भारी करो
मैं तो सिर्फ़ ये चाहता हूँ
कि तुम जब भी मुझे याद करो
तुम्हारे होठों पर बरबस
एक मुस्कान सी तैर जाए
जो गवाही दे
उन बेहतरीन लम्हों की
जो हमने साथ गुज़ारे हैं
मुमकिन है कि उस वक़्त
उमड़ आऊँ मैं बन के मुहब्बत
आँखों में तुम्हारी,
मगर उसे तुम कर देना
नज़रअंदाज़, हमेशा की ही तरह
जैसे तुम कर दिया करते थे
हर गुस्ताख़ी मेरी !