Friday, 25 October 2019

तुम


तुम हो, तुम्हारा ख्याल है
शब-ए-तनहाई अब मुहाल है

इस आफताब से भी ज़्यादा
रौशन  तुम्हारा  जमाल  है

तुम किस्मत की बात छोड़ो
ये सिर्फ़ उसका कमाल है

मैं मुद्दतों से 'मुन्तज़िर' हूँ
जाने ये कैसा विसाल है